मज़ाक
मजाक…. कभी किसी ने आपके साथ तो आपने किसी ना किसी के साथ मज़ाक किया होगा किन्तु उसके बाद का अनुभव क्या रहा कभी इस पर विचार किया ….. हसी मजाक आम जीवन का हिस्सा है और सहज होने वाली क्रिया भी फिर भी मजाक के नाम पर कभी किसी के गुणों पर…. कभी किसी शरीर पर …कभी किसी सोच पर…. कार्य पर …बातो पर जो आप चार लोगों के सामने मजाक करते है, आपके द्वारा कहे गए शब्द सामने वाले व्यक्ति के मन में क्या असर करते है । आपके द्वारा किया गया कुछ पल का मजाक किसी के लिए जीवन भर की घृणा का कारण बन सकता है और सम्भवत आपने कुछ पल के लिए लोगो का ध्यान अपने तरफ लाने के किया जाने वाला मजाक आपको उम्र भर के लिए सामने वाले व्यक्ति के मन से सम्मान को खत्म कर देता है साथ ही जिस व्यक्ति का मजाक बन रहा है उससे उस व्यक्ति की छवि पर जो प्रभाव पड़ेगा वो अलग… जबकि भले ही वास्तविकता में वो ऐसा हो ही नही और मजाक के नाम पर किसी के यथार्थ को… उसकी वास्तविकता को खत्म कर देना मजाक तो नही है । किसी का मजाक बनाकर आप अपना सम्मान बढ़ा रहे हो ये मात्र एक खुशफहमी है ।
मज़ाक तो नहीं है …..
शब्दों में ताकत भरते भरते भाव शून्य हो जाना
हंसी से दमक उठे दोनो का चेहरा …तो बात अलग
वरना ये एक तरफा हंसी
मजाक तो नही है …
आंखो तक अश्रु आएं है
बस गालों को भिगोया नही है
छोटी लगने वाली बातो पर कही तुमने
अपना सम्मान खोया तो नही है
और माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए
किसी की अस्मिता को अहमियत ना देना
मजाक तो नही है…
फूल सा मुरझा गया होगा
आंखो में जो दबा गया होगा
एक गमजादा मुस्कान होगी
किसी के चेहरे की ये पहचान होगी
ये अपनी वाह वाही के नाम पर
किसी की मासूमियत छीन लेना
मजाक तो नही है…
गिरते को संभाल ना सके ना सही
मैं हूं जैसा हूं … तुम ज्यादा अच्छे
अच्छा ! ये बात भी सही
हर बार जो तुम चाहो, वैसा मैं बन जाऊ
ऐसा मुमकिन तो नहीं
तुम्हारी ऐसी हरकत पर ,मेरा खला [अकेला ]हो जाना
मज़ाक तो नहीं है….
करे कोई तुम्हारे साथ ऐसा… तो क्या होगा
भिगोये तुम्हारी आँख, छीने तुम्हारी हंसी
कर दे तुम्हें अकेला …तो क्या होगा
बुलाकर महफिल मे तुम्हें
कर दे रुसवा… तो क्या होगा
फिर पूछना कभी खुद से
जो हुई बेहूदा [अशिष्ट ] सी हरकत
मजाक तो नहीं है …
मज़ाक के भी कई स्वरूप हो सकते है … जिसमे एक निश्चल मन से किया गया मजाक जिसमे दोनो पक्ष खुश हो किसी को भी इससे कोई आपत्ति नहीं और दूसरा जिसमे एक पक्ष मजाक करने नहीं अपितु मज़ाक उड़ाने वाला और दूसरा पक्ष मजाक सहन करने वाला । ये दूसरा रूप अधिक विचारणीय है क्योंकि मजाक सिर्फ मजाक नही है क्योंकि वे उन्हें आंतरिक रूप से कमजोर तो कभी कभी विकृत भी कर सकता है साथ ही इसके आगामी परिणाम सकारात्मक आने की संभावनाएं भी कम ही रहती है ।
इसमें समझने वाला सबसे बडा बिंदु यही है कि जिसका मजाक बनाया जा रहा है अगर वो सामान्य है तो कोई समस्या नहीं है किंतु इसके विपरित उसकी हंसी खत्म हो गई है , नजरे झुका ली गई है , अपने आप को सिकुड़ने लग गया है , चेहरे से भाव खत्म हो गए है , अचानक से आत्मविश्वास खत्म होता दिख रहा है , वो व्यक्ति मजाक होने पर उस स्थान से उठ कर चला जाता है या अकेले रहना शुरू कर देता है तो यह तय है कि आपके द्वारा जो किया जा रहा है वो मजाक तो नही है ।
अगर ऐसा कुछ नजर आएं तो समय रहते आप अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांग ले और उन्हें उनके गुणों के बारे में बताएं बिना किसी भी प्रकार से उन्हे शर्मिंदगी का अहसास कराएं साथ ही सामान्य और सहज लगवाने का प्रयास करे , उन्हे कुछ अच्छा या नया करने को प्रेरित करे ….
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