मोहब्बत सबसे पहले खुद को चुनना

|| मोहब्बत ||

आजकल जहां हर जगह मोहब्बत की बातें चल रही है किंतु मोहब्बत का असली मायना  क्या है ?

यह सब की नजर में अलग हो सकता है क्योंकि हर एक व्यक्ति अपनी एक सोच रखता है और उसी सोच  में ही उसके अलग-अलग मायने भी होंगे …. हो सकता है वह कभी हमसे मेल खाएं और कभी ना मेल खाएं  किंतु उन सब में खुद को अहमियत देना सबसे ज्यादा जरूरी है क्योंकि कई बार हम दूसरों के लिए इतना कर जाते हैं कि हमारी अहमियत की  कोई अहमियत नहीं रहती और हर बार  किसी के लिए करना और खुद को नजर अंदाज करते  रहना जो भी है  पर यह तय है मोहब्बत नहीं है …. तो  अपनी इज्जत – ओ – एहितराम  के लिए और अपने आप के लिए हमें खड़े होना चाहिए और हमें सबसे पहले खुद से मोहब्बत करनी चाहिए क्योंकि जब हम खुद से मोहब्बत नहीं करते हैं तो हमें वह चीज मांगने की जरूरत पड़ती है और मोहब्बत करने का नाम  है मांगने का नहीं और जहां मांगना पड़ जाए वहां से दूरी बना लेंऔर यही सही है क्योंकि हम कभी भी अधूरे नहीं रहते हैं हम बने हैं पूरा  के लिए और हमारा मुक्कमल होना सबसे पहले हमे पूरा करता है क्योंकि अगर हम ही अधूरे रहेंगे तो हम कभी भी किसी को पूरा नहीं कर पाएंगे….

||सबसे पहले खुद को चुनना ||

किसी के हाथ से तोहफे की चाहत है
इन गुलदस्तों को देखकर आंखों को राहत है
फिर यह गुमसुम सी तन्हाई
इस खामोशी के मंजर से बाहर तो आ
तेरा चेहरा मुस्कुराता हुआ
बेइंतहा कशिश पैदा करता है इसे संवार के तो आ

फिर इंतजार किस बात का है
क्यों हर बार जिक्र शब- ए- मेहताब का …
अब ये हसरत हो
कि खुद को बनाना आफताब सा है

पलके उठा… हटा इन जुल्फों को
जरा आईना देख
तेरी जिंदगी तुझ से क्या चाहती है
यह मायना देख
एक गुलाब अपने नाम कर ….
एक शाम अपने नाम कर….
खोल बाहें एक चमकता मुस्तकबिल अपने नाम कर

अब वक्त आ गया है
खुद से मोहब्बत बयां करने का
जब नाम देने का मोहब्बत
तो शुरुआत खुद से करने का
इस वक्त में जहां हर कोई खफा हुआ बैठा है
तो खुद को राजी करने का

तेरा चमकता कल …
आज की कहानी कहेगा
जो तेरा हो चुका होगा …
इन मुस्कुराहटों में क़ायम रहेगा
अब जो छूटा उस पर गम कैसा
वो महज एक ख्याल बनकर रहेगा
बस अब याद रहे ख्याल में उलझना मत
हो चुनना अगर तो खुद को चुनना
जो जहान की नजरों में गलत…. गलत सही
तुम खुद की नजरों में सही बनना

और बात हो अगर मोहब्बत की
तो सब से पहले खुद को चुनना
हां…सबसे पहले खुद को चुनना

क्या मोहब्बत हमेशा दूसरों से की जाती है यहां पर खुद से मोहब्बत का कोई सवाल नहीं है …. होना चाहिए क्योंकि हमें हमारे बारे में सोचना उतना ही जरूरी है जितना हम औरों के लिए सोचते हैं | हम क्या चाहते हैं खुद से, हमने जो दूसरों को देने के चक्कर में अपनी ख्वाहिशें खत्म की है उनको उनमें फिर से जान डालनी चाहिए क्योंकि हमारे हाथों में एक चमकता सा कल है और यह कल हमें बेहतर बनाने की ओर है ,कभी भी बेहतरीन से दूरी ना करें  और यह तन्हाई  आपको बेहतर बनाने के लिए आई है तो  हमेशा बेहतर करिए खुद का और खुद को बेहतर करने के लिए खुद से मोहब्बत करना जरूरी है…. खुद की अहमियत को पहचानना जरूरी है …. खुद की इज्जत करना जरूरी है नई ख्वाहिशों को पैदा करना जरूरी है जिससे कि हमारे वजूद को ताकत मिलती है | थोड़ा अलग कीजिए …. आगे बढ़िए …. और चुनिये सबसे पहले खुद को फिर सबको ….

3 thoughts on “मोहब्बत सबसे पहले खुद को चुनना”

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