नया साल||साल बदल रहा है 

नया साल

कैलेंडर मे सिर्फ तारीख नहीं बदलती है नजर… नजरिया …ख्याल… ख्वाब…हालत … हालात … हकीकत …जज़्बात … लोग … चेहरे  बदल जाते है | कहने को साल गुजर गया है और कुछ दिन कुछ रातें ऐसी भी रही जिसका पल भी गुजरना मुश्किल रहा है … हकीकत मे देखा जाएँ जिंदगी मे गुजरा हर लम्हा कोई ना कोई सबक लिए था पर अक्सर ऐसा होता है कि वक्त होता है तो समझ नहीं होती है और जब समझ आती है तो वक्त नहीं होता | साल के साथ उम्र का बढ़ना आम है पर जिन्हे जिम्मेदारियां बड़ा कर देती है ,उनके लिए हर एक घटना नया साल है और फिर जिसने उम्मीद को थाम रखा है वो हारता नही है क्योंकि किसी इंसान का साथ छोड़ना उतना बुरा नही है जीतना कि खुद का खुद के साथ ना होना … कोई बात कोई काम या कोई शख्स जिनके बारे में आपको भी जानकारी है कि वो आपके अनुकूल नहीं हो सकते भले ही सभी के अपने अपने कारण हो उस के बाद भी उसी गुजरे वक्त के पीछे अपने आज को खत्म कर देना सही तो नही है और कभी इंसान अपने अंदर ही ऐसा उलझ जाता है कि उसे उलझनों के अलावा कुछ नजर नही आता या शायद वो देखना ही नहीं चाहता है तब वक्त को वक्त की जरूरत है खुद को फिर राह पर लाने के लिए कभी कभी जिन्दगी को कायनात बनाने वाले के हक में छोड़ना ही सही रहता है … हां यही सही रहता है |

साल बदल रहा है 

किसी के लिए साल बदल रहा है, किसी के लिए जिन्दगी बदल गई होगी
किसी ने ख़्वाब बदले होगें, किसी ने मंज़िल बदली होगी …

जिसके पास तुम हो उसे बहार ही बहार नसीब है
जिसके पास खुद खुद भी नहीं उसकी रातें कैसे निकली होगी…

गुजरता वक्त अपना रंग जरूर दिखाता है
किसी का हुस्न जर्द हुआ होगा ,कई नई कलियाँ खिली होगी …

हर किसी का साथी दुः ख है तुम अलग नहीं हो
कहीं आग ने दिल पत्थर किए होंगे ,कहीं मोम सी आंखे पिघली होगी ….

नए वक्त मे पैसे काबिलियत अपनी जगह , नाम ओ शौरहत की चमक साथ रखना
वर्ना गुजरे वक्त मे तो कितनों ने किसी ख्वाब भी खरीदें होंगे और कद्र भी नहीं की होगी …

ये सालगिराह के नाम पर उम्र के बढ़ने का जश्न मनाती है दुनियां
जिसने जिम्मेदारियों के चलते किताबों को रुसवा किया है , सोचो उसकी उम्र कितनी होगी …

तू ना कर जायां खुद को जहां  पर तेरा बस नहीं … एक यकीन खुद पर सही
लोगों की हदों का ख्याल कर … तेरी जंग है तो तुझे ही जीतनी होगी …

किसी के लिए साल बदल रहा है, किसी के लिए जिन्दगी बदल गई होगी
किसी ने ख़्वाब बदले होगें, किसी ने मंज़िल बदली होगी…

जीवन का नियम तय है चलते रहना और यही नियम व्यक्ति को भी अपना लेना चाहिए क्योंकि रुकना यह तय करता है कि सभी उम्मीदें समाप्त हो रही है जबकि शुरुआत का समय यही है और जीवन का वास्तविक अर्थ सीखना है सीखना एक जीवंत पर्यंत प्रक्रिया है लेकिन सिर्फ औपचारिक रूप से ही हमें सीखना पड़े यह आवश्यक नहीं है जीवन में जो सीखना है वह अनौपचारिक रूप में चलता रहता है हमें अपनी परिस्थिति ….स्थिति और व्यक्ति कभी-कभी किसी के दृष्टिकोण  से भी अच्छा सबक ले लेते है |यह भी विचित्र बात है कि औचरिक शिक्षा मे सबक सारे याद करने पड़ते है  जबकि जीवन जो सबक देती है उसे भुलाया नहीं जाता ,तो सीखिए …आगे बढ़िए …खुश रहिए सबसे पहले अपने फिर उनके लिए जो आपको खुश देखना चाहते है …. और हर उस स्थिति का स्वागत करे जो आपको बेहतर बनाना चाहता है …..

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