Shayari and Quotes

शायरी और Quote के इस पेज पर आपको अपनी भावनाओं से जुड़ने वाले कुछ ऐसे शब्दों का ताना-बाना मिलेगा क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि जो हम अनुभव कर रहे हैं उसके अभिव्यक्ति नहीं कर पाते हैं तो उसे अभिव्यक्ति को शब्द देने के लिए यह पेज महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है,जहां पर आप अनुभव कर पाएंगे कि कोई है जो आपको आपका महसूस करा रहा है और साथ ही अपने विचारों को कमेंट के माध्यम से आप साझा भी कर पाएंगे साथ ही यह पेज आपको विभिन्न प्रकार की विचारधाराओं और अभिव्यक्तियों से ही परिचित भी करवाएगा और कहीं ना कहीं एक प्रेरणा भी प्रदान करेगा जिससे जीवन को देखने के दृष्टिकोण को एक नवीन दिशा प्रदान कर सकता है ….

 

किसी की बेटी की आत्मा को मारने वाले लोग …

कैसे भूल जाते है कि उनकी नस्लों में भी बेटियाँ पैदा होती है  |

  शृंगार से विपरीत अपनी इच्छाओं के लिए संघर्ष करती स्त्री के सामने रहे ….

वो कमजोर ,कायर , कमतर पुरुष जो वास्तविकता में शयद पुरुष भी नहीं

जो हकीकत की दहलीज पर आएं नहीं

ऐसे ख्वाब जहन में लाते नहीं

जो वो लौट आएं आज में

ऐसा कल हम चाहते नहीं है ….

 

मां ने सहा
बहुत सहा
इतना सहा
कि कितना सहा
इसलिए बेटी ब्याहकर भी
घर के पास बसाई
मां ने सहा
बहुत सहा
इतना सहा
कि कितना सहा
और बेटे को कहा
कि बहू को कहे
अब वो सहे
बहुत सहे
इतना सहे
कि कितना सहे
जी गई तो और सहे
और मर गई
तो अब कौन कहे

 

पसीने से तर .. मेहनत में चमकता आबदार नूर है

वो वालिद है खुदा नहीं पर खुदा के ज्यादा मशहूर है

 

जो मिल नहीं…. वही खलल पैदा करता है

मिलने पर भला कौन संभाल कर रखता है

 

दोष पर पर्दा डाल परंपरा कह दीजिए
सदियों से चली आ रही है बस इतना कह दीजिए
वो उलझाकर तुमको शब्दो में अर्थ दूर ले जाएंगे
अपमान के भय से आप भी कहां प्रश्न उठा पाएंगे
एक द्वंद भीतर होगा जब ज्ञान नैय्या हिचकोले खायेगी
अभद्रता का भय सताएगा, कोई चिंगारी ज्वाला बनने से पहले ही बुझ जाएंगी
फिर तुम भी वही राह लेकर भीड़ में भीड़ बन जाओगे
और सत्य तुम्हरा हृदय भी जानता है
उस पर कैसे पर्दा डाल पाओगे

 

जिस घर में पौधे ना सँवारे जाते हो ….

क्या सोच कर

तुम उस घर में अपनी बेटियाँ देते हो

 

समय की रफ्तार में मर्दों ने धोती से जींस का सफ़र तय कर लिया
किंतु
औरतों ने खुद को और विचारों को लपेट रखा आज भी साड़ी में

इसीलिए खुद से आगे बढ़ती स्त्री का विद्रोह स्त्री के लिए ही रहा
और स्त्री का पिछड़ापन जीतना पुरुषों की वजह से नहीं उतना है एक स्त्री के कारण

 

 

आजीविका चलाने को विकल्प बहुत मिल जाएंगे

बेहतर इंसान बनने के लिए चरित्रवान बनो

खामोश रहकर भी सबकुछ कहना चाहते है हम

शख्सियत भी हमे किताबों जैसी चाहिए

 

हमने खुद के अनुभव नहीं लिए कभी

पढ़ी हुई किताबों से …. जी हुई जिंदगियों से सिखा है

 

अधिकार को छोड़ने वाला व्यक्ति सबको भला लगता है

 

अपनी प्रशंसा करने में किसी का अपमान कर देना

आपको कभी भी प्रशंसनीय नहीं बना सकता ….

नियत अच्छी रखिए ….

नसीब अपनेआप अच्छा हो जाएगा

 

प्रसन्नता प्राप्त करने मे नहीं प्रदान करने में है |

 

एक बार नजर से उतरने के बाद आप खुद को भी वो स्थान नहीं दिला सकते

जो आपके अलावा किन्ही और का नहीं था

 

सही लक्ष्य के लिए असफल प्रयास बेहतर है

कुछ ना करने के

 

मनुष्य सदा अंतर्बल से युक्त होना चाहिए…

क्योंकि जल से रिक्त बादलों की दिशा हवा तय करती है बादल नहीं |

 

बीते हुए कल के लिए आज को खोना आने वाले कल के लिए विनाश का सूचक है |

अति की गति विध्वंस के लिए पर्याप्त है |

स्वयं के अंतर मन से किया गया छल…
सबसे अधिक क्षति पहुंचता है |

किसी का सम्मान करना कमजोरी का नहीं…

अच्छी परवरिश का प्रतीक है।

 

अगर आपको शिकायत है सूर्य के जलाने से

तो आपको सूर्य का प्रकाश भी स्वीकार नहीं करना चाहिए |

अपना सूरज स्वयं बनोगे तो आप सुबह की नहीं सुबह आपकी प्रतीक्षा करेगी |

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