विश्वास किस पर किया जाएँ || Trust !
विश्वास किस पर किया जाएँ
कर्तव्य से विमुख मनुष्य किसी भी क्षेत्र मे क्यो ना हो ना तो वे स्वयं के साथ न्याय करते है और ना ही उस कार्य के साथ जो वे कर रहे हैं … विचारों के मापदंड कुछ इस प्रकार है जो मौसम से अधिक परिवर्तित होते नजर आते है कहने का अभिप्राय यह है कि जो नियम या सिद्धांत वे सभी के लिए लागू करते है वही समान परिस्थिति स्वयं पर आएं तो इनके लिए परिभाषाएँ बदल जाएगी ….. इन दोहरे मापदंडो से संगठित एकमात्र सर्वोच्च राष्ट्र का लक्ष्य प्राप्त किस प्रकार हो पाएगा …
विश्वास किस पर किया जाएँ कोई बताएं हमे
बड़ा मुनाफा खौर हुआ है जमाना , हर चीज का सौदा करने लगा है
धंधा बन चुका धरती पर , जिसे इंसान मे भगवान माना जाना जाता था
अब तो छीक आने पर मरीज अस्पताल मे दम तोड़ने लगा है
खेलने का दौर है सियासत खेल रही है लोगो के जीवन ओर भावो से भी
सोच मे लकवा लगा यह है कि आधुनिकता मे भी मानव खुद को पिछड़ा कहने लगा है
इंसाफ के घरों मे इन काले लिबासो मे काले कारनामे होते है
इंसाफ की देवी ने भी बांधी काली पट्टी है , खबर कहाँ उसे निर्दोष सजा सहने लगा है
जिनकी पनाह मे रक्षण का आश्वासन मिला , वो ही भक्षण पर तुले है आज
किसी के ईमान बेचने से , बदमाश भी खुद को शरीफ कहने लगा है
बिच्छू साँप भी हुनर छोड़ रहे है जहर रखने का
आज इंसान लफ्जों मे शहद लपेटकर , जहर की खुराक देने लगा है
सब जानते हुये भी महफूज कर खामोश हो रखा है जमाना
जब खून बहता था वो दौर गया , आजकल रगों मे पानी बहने लगा है …
परिवर्तन का प्रारम्भ संकल्पित विचार को प्रत्यक्ष रूप से लागू करना है जिसे स्वयं से शुरू करना सबसे सहज और बुनियादी रूप से आवश्यक है … साथ ही जिस व्यवहार की आशा आप स्वयं के लिए करते है वहीं सभी स के साथ किया जाएँ तो बदलाव लाया जा सकता है | यहाँ व्यवहार से तात्पर्य अलग अलग क्षेत्रो और दफ्तरों संबंधी कार्यो से है और वो भी ईमानदारी से ….
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