।। अपरिचित ।।

यात्रा में मिलने वाला हर व्यक्ति परिचित नहीं होता किन्तु इसी यात्रा में मिलने वाला कोई व्यक्ति अपरिचित होकर भी जीवन में ऐसी छाप छोड़ जाता है अपने व्यक्तित्व की ….. कि उनके अपरिचित होते हुए भी उनका जो परिचय जीवन हमें करवाती है वह कभी भी विस्मृति नहीं होता है या यूं कहे सदा स्मरण में रहता है और यह स्मरण सदा के लिए इसलिए होते हैं क्योंकि यह व्यक्ति आपके जीवन में कुछ सीखाने आते हैं…. आपको और मजबूत बनाने आते हैं और यह बताने आते हैं कि जीवन में ऐसे व्यक्ति भी है जो परिभाषाओं में सीमित न होकर भी जीवन जीने की परिभाषा दे जाते हैं…. जो बताते हैं की कुछ न होकर भी सब कुछ हुआ जा सकता है और जीवन को ऐसे लोगों की दरकार सदा रहती है किन्तु यह भी यथार्थ वह इस यात्रा सदा साथ नही रहते है…

।। उनकी बात करते हैं ।।

जो हाथ पकड़ते नहीं मगर साथ चलते हैं

चलो आज …उनकी बात करते हैं

जैसे वह शाम की सुनहरी सी पर छाई में जब चांद और सूरज आमने-सामने मिलते हैं

कुछ ऐसी मुलाकात की बात करते हैं

जानते हैं एक होना मुश्किल है और मुश्किल ही रहेगा फिर भी बातों में उम्मीद को भरते हुए जो हर अगले कदम पर साथ देने की आस करते हैं

चलो आज… उनकी बात कहते हैं

कभी शाम कभी साथ कभी वह कॉफी कभी वह आखरी बेंच और उसमें उस अतीत का जिक्र जो आज है

कुछ ऐसी अनकही ख्वाहिशों का जिक्र करते हैं

चलो आज ….उनकी बात करते हैं

शब्दों में कभी आवाज नहीं हुई जहां हमेशा मौन से ही मन को उत्तर मिला है

कुछ ऐसे ही किस्सो को कहानियों में शुमार करते हैं

चलो आज … उनकी बात कहते है

इस यात्रा में कोई वादा नही है फिर भी जब जरुरत पड़े तो वही सबसे पहले जिस व्यक्ति का चेहरा सामने आए समझ जाए हम उन व्यक्ति की बात कर रहे हैं ….हम जिस सुखों के लिए बहुत से साधन अपनाते हैं और बहुत सी उन यात्राओं को करते हैं जिनके अंत हमें लगता है हमें सुकून सुकून मिलेगा किंतु वास्तविकता यही होती है कि हमें जो व्यक्ति सुखद अनुभव करता है उसके लिए कोई यात्रा नहीं करनी पड़ती …. हम एक जगह ठहर कर भी वह सुकून प्राप्त कर सकते हैं और उसे सुख की प्राप्ति के लिए कोई शाब्दिक माध्यम हो आवश्यक नहीं है ….बस यही काफी है कि वह व्यक्ति साथ है और उस व्यक्ति की अनुपस्थिति में उसके साथ बिताए हुए वह स्मरण याद आते हैं जो हम कभी यथार्थ में व्यतीत कर चुके हैं तो वह व्यक्ति हर परिस्थिति में …. हर स्वरूप में… हर रिश्ते में… हर सूरत में … हर चरित्र में …. हर हालत में सुखद ही अनुभव करवाता है क्योंकि कहीं ना कहीं उस व्यक्ति से संबंध आत्मीयता को व्यक्त करता है ना कि भौतिकता को

इस यात्रा में हमें जानकारी होती है कि यह व्यक्ति हमारे लिए उस आखिरी पड़ाव तक साथ नहीं है फिर भी उनके द्वारा या उनके साथ जो क्षण व्यतीत किए गए हैं वह अंतिम समय तक साथ रहते हैं और यह वही क्षण है जो सुखद अनुभव करवाते हैं जिससे उनके ना होने पर भी उनकी उपस्थिति को अनुभव किया जा सकता है साथ ही हम यह कह सकते हैं कि यह वह व्यक्ति है जिन्होंने हमें कुछ ऐसा अनुभव करवाया है जो की हमारी प्रसन्नता और आनंद का विषय रहा है इसमें सिर्फ आत्मिक अनुभूति की ही चर्चा है क्योंकि विचार मात्र से ही हम उस व्यक्ति को अपने समीप अनुभव कर सकते हैं और उनके न होने पर भी उनकी होने की अनुभूति ही हमें सुखद लगती है ताकि हम इस यथार्थ से सदा ही परिचित रहते हैं कि वह व्यक्ति और हम दोनों ही अपने-अपने यात्रा को सफल कर रहे हैं और दोनों के अपने-अपने लक्ष्य है जिन्हें प्राप्त करना हैं और यही सत्य है …

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