||व्यक्तित्व से मिलना ||

जीवन में कई बार हम ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं जो जीवन में आते ही हैं हमें जीवन के उन पहलुओं से परिचित करवाने के लिए ….. जिनमें हमें अधिकांश भ्रम रहता है कि हम बहुत श्रेष्ठ हैं या हम उस क्षेत्र की काफी जानकारी रखते हैं या हमें उसे क्षेत्र  में सुधार की आवश्यकता नहीं है किंतु वास्तविकता में जब हम उन व्यक्तियों से मिलते हैं …बात करते हैं या किसी भी प्रकार से उनके मत और राय से अपना विश्लेषण करते हैं तो हमें प्राप्त होता है की वास्तविकता में जो हम समझ रहे थे उसमें हमें और भी अधिक सुधार करना बाकी है और अगर ऐसा व्यक्ति हमें कोई सलाह देता है या हमारी मदद करता है जो कि हमारे लिए सहायक हो तो हम उसको अवश्य ही अपने जीवन में धारण करते हैं क्योंकि हमें यह तय होता है कि इन बातों को या इन सलाह को जीवन में लागू करने से कहीं ना कहीं हमें फायदा (लाभ ) जरूर मिलने वाला है साथ ही यह जो व्यक्तित्व है वो थोड़े से ही समय के लिए मिलकर भी जीवन भर स्मरण दे जाते है जो कि विस्मरणीय है …

 

|| जिन्दगी संभलने लगी ||

कलम को क्या उठाया…. शख्सियत को बयां करने के लिए

कलम से हर्फ़ (शब्द )नहीं, दुआएँ निकलने लगी……

ताबीर (स्वप्न को कहना) सा था वो बशर (व्यक्ति)कोई… जो चश्म (आंखे )की हकीकत है आज

देख कर उन्हें…. मेरी उसूल-ए-जिंदगी (जीवन के नियम ) मुझे परखने लगी

यहां वक्त-ओ-हालात को देखकर सोच ख्याल को बनावट देते हैं

अदब (सम्मान)तहज़ीब (शिष्टता ) पारसा (पवित्र) मोहज्जब ( विनम्र) …. जितना कहे कम है हकीकत (वास्तविकता ) में उनकी

गुमराह (भटकना ) से हुये, राहों से जब

सोच – ए – नजरिए से उनकी… जिंदगी संभलने लगी

बुराई खत्म हो जाये…. मुमकिन (सम्भव )नहीं, ख़ुद को उस से ऊपर उठाना पड़ता है

मौत के मायने (अर्थ )सिखाती है जिंदगी, इतना मैं समझने लगी ….

 

हमने कई बार सुना है  समय और समझ के संदर्भ में क्योंकि हमारी परिपक्वता तक पहुंचने की यात्रा में इनका संतुलन होना हमे एक नवीन लक्ष्य की ओर ले जाता है और इनमें न होने वाला संतुलन हमें ऐसे अनुभव देता है  जिसकी हमने कल्पना नही की है साथ ही हमारा परिपक्व  होना जीवन में कई बार ऐसे चरणों से होकर गुजरता  हैं जिसकी हम कल्पना भी नहीं करते लेकिन जब वह यथार्थ हो जाते हैं या तो वह हमें सामान्य सी बात है कि ऐसे स्मरण देंगे जो हमें आने वाले वक्त में सुखद अनुभव करवाएंगे किन्तु अगर ऐसा नहीं है तो हमें ऐसी परिपक्वता हमेशा के लिए मिल जाएगी जो हमें वह गलतियां दोहराने का अवसर नहीं देगी  जिनसे कहीं ना कहीं हमने अपने अतीत में क्षति पहुंचाई है और वह भी स्वयं को तो जीवन के  मूल्य को समझने के लिए सिर्फ स्वयं का दृष्टिकोण ही आवश्यक नहीं है आवश्यकता  हैं कि अन्य दृष्टिकोण को हम कितना अच्छे से परखते है और  समझ पाते हैं  कि यही जीवन को सीखने के कई आयामों में से एक आयाम है… जिस प्रकार एक विषय को लेकर अनेक धारणाएं …. विचारधाराएं हो सकती है और सभी विचारधाराएं एक ही हो आवश्यक नही हैं किन्तु अलग अलग हो सकती है और व्यक्ति विशेष के दृष्टिकोण के अनुसार उचित स्थान भी रखती है… इसीलिए उन विचारधाराओं का निष्कर्ष निकालने के लिए यह आवश्यक है कि हम उस विषय से संबंधित हर एक विचारधारा का विश्लेषण करें और उनमें से जो सबसे उचित और सार्थक विचारधारा है उसका चयन करें बदले में यह विचार करने की कौन सही है पर यह विचार करना चाहिए कि क्या सही है तो समाधान मिलने में सहजता स्वत ही प्राप्त हो जाएगी …

 

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