यात्रा का प्रारंभ

यह प्रारंभ है उस यात्रा का

यह प्रारंभ है उस यात्रा का, जो शब्दों से रची जाएगी
यहां भंवर है भावनाओं का , जो जीवन के अनेक रुप दिखलाएगी
इस यात्रा की मंजिल नहीं कोई
यहां लिखते-लिखते जीवन की स्याही खत्म हो जाएगी
यह प्रारंभ……………..

भोर के तारे को सुबह का सूरज बनना है
पैरों के छाले की परवाह क्यों
अभी तो तुझे और भी चलना है
जलना तो परीक्षा है शुद्धता की
यही परीक्षा कर्म को प्रमाणित कर पाएगी
यह प्रारंभ..………………..

अंत नहीं शब्दों का अपनी योग्यता से हर दिल में निवास करेंगे
इन शब्दों को कमजोर मत समझना
पढ़ने वाले की रगो में साहस भरेंगे
साधारण शब्दों में लिखेंगे कुछ खास ऐसा
मेरे ना होने पर भी मेरी मौजूदगी दिखलाएगी
यह प्रारंभ है उस यात्रा का…………….

– गरिमा मौर्य

शुरुआत के लिए ना तो समय,ना उम्र,ना हालात मायने रखते है …

ये मात्र आपकी मनोस्थिति और आत्मविश्वास पर निर्भर करता है और किसी भी कार्य के परिणाम के लिए आवश्यक है कि पहले कार्य किया जाएं , परिणाम तो कार्यानुरूप स्वत ही प्राप्त हो जायेगा । ठान लेने के बाद तो कठिनाइयों में भी चुनौती से अधिक अवसर दिखाई देते लगते है अंतर मात्र दृष्टिकोण का है वरना समय , उम्र, हालात वही है परिवर्तन हुआ है तो दृष्टिकोण और यहीं सर्वाधिक महत्वपूर्ण है… सभी आपको सलाह तो दे सकते है पर आपको आपकी सहायता स्वयं ही करनी होती है और सलाह आपके विषय के अनुरूप है भी या नहीं इसका  निर्णय आपको करना क्योंकि आपकी स्थिति को आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता है और बिना स्थिति का आकलन करके लिया गया निर्णय अधिकांश रास्तों से  गुमराह कर देता है …. सही समय पर सही निर्णय लेना ही सार्थकता को व्यक्त है |

1 thought on “यात्रा का प्रारंभ”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top