परिवर्तन

|| परिवर्तन का चेहरा || 

परिवर्तन…. जीवन का महत्वपूर्ण भाग है और समय समय पर कभी स्वेच्छा से …. तो कभी वातावरण के अनुकूल हमे परिवर्तन करना होता है ये बात समय की हुई किन्तु समय और जीवन मे तालमेल बनाते बनाते जो व्यक्ति हमसे जुडते है, उन हर व्यक्ति की दृष्टि मे हमारा एक चेहरा होता है और ये जो चेहरा है हर एक व्यक्ति की दृष्टि में भिन्न भिन्न है क्योंकि कुछ घटनाएं और कुछ व्यवहार हमारी छवि का निर्माण करते है हम बाहरी रूप से जैसे दिखते है ये कुछ समय के लिए हमे प्रभावी बना सकता है किन्तु हमारा वास्तविक स्वरूप जो हमारे हमारे व्यवहार और सोच से बना है वह हमारी अमिट छाप छोड़ देने में कारगर होता है…. जिन्हे समय के साथ बदला जा सकता है पर मिटाया नहीं…

सादगी पसन्द हो  

सादगी पसंद हो तो कदम बढ़ायेगा

बड़ी शिद्दतों से बनाया है खुदको

यूँ पल पल खुद मे बदलाव तो मैं लाने से रहा …

अपने हो इसलिए कभी बांधा नहीं

बेगाने तो है ही बिछड़ने की रस्म अदा करने के लिए

दिल कहता है कि छोड़कर कहीं और तो तू जाने से रहा…

एक ही तो शख्स है जो मुझे मुझसे बेहतर जानता है

जब भी तन्हाई होती है मिलने चला जाता हूँ

अब मैं आइने से तो आंसू छिपाने से रहा…

ठहर जाऊँ तो बरकत नहीं , चला जाऊँ तो साथ छूट जाता है

किसी को खुद मे बसा कर जुदाई देखी नहीं जाती

इन आँखों से आंसुओं को जुदा तो मैं करने से रहा …

झुकता हूं जिसके आगे वो कभी झुकने नहीं देता

जिंदगी की चाहत थी ही कब , जो मौत का खौफ़ होगा

यूँ तो हर दर पर सर मैं झुकाने से रहा…

चले तुम थे…  तभी कदम हमने बढ़ाया था

खुद्दारी की हद्द … उन्हे पता क्या है

बिना बुलाये तो उस ऊपर वाले के दर पर भी मैं जाने से रहा …

 

जब तक व्यवहार जैसा हम चाहें वैसा होता रहे तो हमे अच्छा लगता है और अच्छा लगना स्वाभाविक है क्योंकि उसमें हम सहजता का अनुभव करते है किन्तु जैसे ही यह व्यवहार हमारे विचारो से विपरीत हो या सोच के अनुकूल न हो तो यह असहजता हमे व्याकुल कर देती है… इस स्थिति में व्यक्ति अलग अलग मार्ग खोजने लगता है कि हम कैसे व्यक्ति को अपने अनुकूल करे और ऐसा न होने पर हम दबाव बनाने का प्रयास करते है और ऐसा करने के बाद भी जब वह वो नही करता जिसकी कामना हम करते है तो ऊबने लग जाते है… रुचि कम करना शुरू कर देते है, यह सब इसीलिए भी होता है क्योंकि हमने उन्हें उनकी वास्तविकता देखकर नही बल्कि उनमें नजर आने वाली कुछ क्षणिक समानताएं देखकर संबंध बनाया था बिना यह विचार किए कि व्यक्ति अपना स्वयं का आस्तित्व रखता है … उनकी स्वयं की अपनी विचार धाराएं है जिन पर कार्य करने के लिए वे  तत्पर है और साथ ही अपने द्वारा किए गए कार्य पर हर बार किसी का हस्तक्षेप स्वीकार करे यह आवश्यक नहीं है और यह विचार हर व्यक्ति के संदर्भ में है क्योंकि सभी को अपनी निजता और स्वतंत्रता प्रिय हुआ करती है |

हमे सभी के भावो का…  विचारो का सम्मान करना चाहिए और इस सत्य को भी स्वीकार करना  चाहिए  कि दो व्यक्ति की एक विषय पर विचार धारा भिन्न भिन्न हो सकती है जो कि अपने अपने अनुसार सही भी हो क्योंकि एक दृश्य को देखने के कई दृष्टिकोण हो सकते है और हर जगह विवाद करने से कई गुना अधिक सही होता है स्वीकार कर लेना… अपने पक्ष को भी विशेष माने पर किंही को पक्ष को अयोग्य सिद्ध करने की चेष्ठा नही होनी चाहिए बल्कि विषय संदर्भ मे जो सर्व श्रेष्ठ युक्ति को स्वीकारी जानी चाहिए….

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