• एक कुआं {लघु कथा }

एक समय की बात है एक समझदार कारीगर ने एक कुएं के भीतर कुई का निर्माण करवाया जिससे कि सभी परिवार के सदस्य उसका पानी का उपयोग कर सके .. समय बीतता गया कुआं अधिकांश कुई से कहता कि सभी मुझसे कितना प्रेम करते है …मेरी तारीफ करते है कि मेरे बिना तो यह जी ही नहीं सकते और मुझसे पानी पीकर खुश भी रहते है तो कुई मुस्कुराती और कहती कि आपका गर्भ उनका उदर एक ही है .. कुआं समझता तो नहीं पर कुई की बात पर मौन हो जाता .. समय बीतता गया सभी कुए मे बाल्टी डालकर उससे अपना काम करते गए …धीरे धीरे कुए का पानी कम होता गया तो कुई ने कहा कि जैसे जिसकी जरूरत हुई वैसे उसने पानी लिया किन्तु अब थोड़ा पानी हमे  अपने जीवन यापन के लिए भी चाहिए … यदि ऐसा नहीं हुआ तो हमारे अस्तित्व पर खतरा आ जाएगा पर कुएं ने कहा जो मुझसे प्रेम करते है … मेरे बिना जी नहीं सकते, वो आवश्यकता होने मेरी सहायता नहीं करेंगे…. अवश्य ही करेंगे… फिर भी कुई कहती है स्वयं के सक्षम होने पर भी दूसरों पर निर्भर रहना उचित नहीं है …. कुआं मुस्कुराया और कहा ऐसा नहीं है देखना मेरे पानी से पलने वाले सदा मेरी सहायता करेंगे….. समय बीता और एक दिन कुएं का पानी बिल्कुल समाप्त हो गया तो कुएं ने सभी घर वालों से कहा कि मुझे आपकी सहायता चाहिए आप सब मुझ में पानी भर दीजिए तो सब गुस्सा करते हुए कहने लगे तुझे इतनी भी समझ नहीं है अपना गुजारा कैसे किया जाता है ऐसे दूसरों के भरोसे कौन काम करता है और तुझ में पानी भरने से बेहतर हम दूसरा कुआं खुदवा लेंगे… ऐसा कह कर सब वहां चले गए और कुएं को बंद करवाने की तैयारी में लग गए….तब कुएं के मायूस चेहरे को देखकर कुई ने कहा कि आपके गर्भ से अपना उदर भरने के बाद भी वो आपकी सहायता को नहीं आएं .. मैंने आपको कितनी बार कहा कि सबके साथ अपना भी ध्यान रखना चाहिए ताकि समय आने पर हम कम से कम अपनी सहायता तो कर सके…. कुएं ने अपनी भूल को स्वीकार करा और कहा कि अपने अस्तित्व को समाप्त करने का दोषी में ही हूं और आंखों में अश्रु ले आया तब कुई ने कुएं को संभालते हुए कहा कि मेरे अंदर अभी इतना पानी है जिससे हम फिर जीवन प्रारंभ कर सकते हैं और यह पानी मैंने अपने मुश्किल समय के लिए बचा रखा था… यह सुनकर कुआं बड़ा खुश होता है और कुई का धन्यवाद करता है… अगली सुबह जैसे ही कुएं को सभी बंद करवाने आते है तो कुएं में पानी देखकर सब चौंक जाते है और पुनः कुएं से अपनापन का दिखावा करते है किन्तु अब कुआं सभी को लौटने की कहकर अपना जीवन खुशी से कुई के साथ व्यतीत करता है….

कहानी का सार यह है कि व्यक्ति आपको तब तक ही पसंद करता है जब तक आपसे उसका स्वार्थ सिद्ध होता है और जैसे ही वह अपना स्वार्थ सिद्ध कर लेता है वह आपको दरकिनार कर देता है …. बातें अच्छी करने वाला हर  व्यक्ति अच्छा हो जरूरी नहीं है साथ ही जो व्यक्ति अपनी सहायता नहीं कर सकता है उसकी कोई भी सहायता नहीं करता है।

 

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