जिंदगी
एक जिंदगी मे इंसान कितनी जिंदगियाँ जी लेता है कभी खुद के, कभी अपनों के, कभी हालातों के हिसाब से … यही सब तो जिंदगी का तजुर्बा है | इस जिंदगी के सफर मे अपने आस पास तो भी दूर है अगर खुद पर गौर फरमाएंगे तो पाएंगे कि बदलना जरूरी होता है वक्त के साथ और वक्त ऐसी ताकत रखता है बदलने की क्योकि अगर ऐसा न हो तो हाथ से रेत की तरह सब छुट जाता है और इसके पीछे आपकी अना और खयाली सख्ती है | ये हकीकत है कि जिन्दगी को जीना अकेले ही है और हमे इस हकीकत को स्वीकारना भी चाहिए लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि जो आपके करीब है आप उनकी अहमियत ही ना रखे…. अगर इस मसरूफ जमाने में कोई आपके लिए वक्त और जज्बे लिए लिए बैठा है तो यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप उनकी कद्र करे क्योंकि जब वक्त मुश्किल हो तो उसमें अपनो से ही सुकून और शिफा रहती है इसके साथ ही आपको इतना काबिल और मजबूत भी होना चाहिए कि आप ख़ुद भी खुद को पुरा करने के काबिल हो…….
जिंदगी – एक ख्याल
दिल कैद किया है हमने… उनकी हकिकत से भी हर कोई वाकिफ नहीं
रूह में उतरना पड़ता है महज चेहर तक का सफर मोहब्बत के लिए काफी नही …
तुम हो इसीलिए जान जाने वाली बात को भी जाने देते है हम
वर्ना दिल दुखाने वालो के लिए तो कोई माफ़ी भी नहीं है
खुद ही राहों से गुमराह होकर भी ढूंढ लेना खुद मंजिल अपनी
लफ्जो में शहद रखने वाला हर शख्स तुम्हारा हादी नहीं …
यूं जी बहलाने के लिए गुफ्तगू कर लेते है आजकल के नौजवान
चमकते चेहरों में झुर्रियों तक के ख्वाब ना सजाओ यहां कोई तुम्हारा आदी नही …
दिखावे की हकीकत में हकीकत देखने की चाहते कम होती जा रही है
रंग ओढ़कर बेरंग हो चुकी है दुनियां यहां हर रूह अब सादी नहीं …
जिनके लिए मर रहे हो तुम वो भी एक दिन मर जाने है
एक उसके सिवा इस कायनात में तेरा कोई हाफी नहीं ….