आकर्षण जैसा सोचा वैसा पाया है

आकर्षण का सामान्य अर्थ किससे हो सकता है किसी भी चीज के लिए …किसी भी आदत के लिए …. किसी भी व्यक्ति विशेष के लिए संभव है और किसी की स्थिति में यह स्वभाविक भी होता है जो की कही ना कही प्रकृति की देन है , इसमें कुछ भी विचित्र नहीं है ठीक जिस प्रकार व्यक्ति अपनी रूचि …अपनी इच्छाओं के अनुसार चीजों का…आदतों का …व्यवहार का …भाषा का चयन करता है और  साथ ही इसी से संबंध रखने वाले हर एक विचार हमें आकर्षित करते है उसी प्रकार आकर्षण का नियम भी होता है जिसके अनुसार हम जो विचार करते हैं या हम जो सोचते हैं हमें वही प्राप्त होता है क्योंकि हमारे विचार ही हमारे कर्म बनते हैं और हमारे कर्म ही परिणाम लेकर आते हैं तो जैसा हम विचार करेंगे या जैसा हम सोचेंगे आकर्षण का नियम उस पर भी काम करेगा और जैसा सोचेंगे वैसा प्राप्त भी करेंगे क्योंकि हमारी सोच ही हमारी आदतें हमारे कार्य को नियमित करेगी और वही कार्य हमे परिणाम देंगे तो हम यह कह सकते हैं कि हमने जो भी प्राप्त किया है उसे कहीं ना कहीं हमने ही पाने की इच्छा रखी है या जो प्राप्त हुआ है उस पर हमने कार्य किया है

।। जैसा सोचा वैसा पाया है ।।

जो है वो देखा नही

जैसा सोचा वैसा पाया है

ठहरा तन फिरता मन है

असल यह है जो है वो माया है

सोच के बादल ने

हकीकत के आसमान को रखा ढाप के

कर्म का पाठ पढ़ा नही

बस सोचा क्या रखा है लकीरों में छाप के

मन मैला पड़ा है

केवल तन धोने से नही छींटे हटेंगे पाप के

जो मिला तुझे

वो तेरा किया कराया है

जो है वो देखा नही

जैसा सोचा वैसा पाया है

अश्रु बहाने से सिर्फ नयन भीगते है

और काल का कागज गलता है

काया भी कुछ कुछ राख होती हैं

यहां जल से तन दहकता है

सिर्फ कदम बढ़ाना काफी नही

साहिल के लिए सही सफर का

चयन करना पड़ता है

और जग तो है ही हसने को

तूने खुद पर

कितना विश्वास दिखाया है

जो है वो देखा नही

जैसा सोचा वैसा पाया है

जीवन में कुछ भी प्राप्त करने के लिए दृढ़ निश्चय की आवश्यकता होती है और सही लक्ष्य के लिए सही रास्ते का भी चयन करना पड़ता है बिना यह विचार किए कि कोई क्या कहेगा क्योंकि सभी जो इस यात्रा में शामिल नहीं है वह सिर्फ अनुमान के अनुसार ही अपना पक्ष रखते हैं आपकी यात्रा और सफलता के बारे में सर्वाधिक जानकारी आपको स्वयं है तो इस पर किस तरह कार्य करना है यह आप तय करते हैं और आपको इस बात की भली भांति जानकारी भी होती है की आपने जो कार्य किया है उसका परिणाम किस प्रकार आएगा या लगभग कितने समय में आप उसके लिए तैयार हो जाएंगे इसलिए सबसे पहला विश्वास स्वयं पर होना अति आवश्यक है क्योंकि अगर आपको स्वयं पर ही विश्वास नहीं है तो आप भला किस प्रकार यह जान सकते हैं कि कोई आप पर या आपके कार्यों पर विश्वास करें ।

महत्वपूर्ण यह है कि आपने जितनी ऊर्जा और समय दिया है उसका सकारात्मक परिणाम आपको प्राप्त हो और आपकी मेहनत और कर्म के अनुसार आपने जितना अनुमान किया है, आपको उससे भी बेहतर परिणाम प्राप्त हो और अगर आपको अपने अनुमान के अनुसार परिणाम प्राप्त नहीं हो रहे हैं तो यह निश्चय है कि अभी और कर्म और मेहनत और सफल यात्रा करना शेष है जिस पल गति को अवरुद्ध कर दिया रोक दिया वहीं प्रकृति भी रुक जाएगी इसलिए सतत कार्य करते रहे अपनी यात्रा को लगातार पूर्ण करते रहे और तब तक चलते रहे जब तक कि सफलता प्राप्त ना हो ।

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