रेत और आदमी 

वर्तमान विचार …

आजकल सभी ने आधुनिकता को सिर्फ पहनावे तक ही नहीं विचारो तक अपनाया है, साधनो की बात अलग है पर जब विचारो की बात आए तो आधुनिकता जितनी विकसित हो रहीं है ये उतना ही भावो को निर्जीव बना रहीं है ….

मनुष्य का सहृदय होना या भावयुक्त होना उतना ही जरूरी है जीतना साध्य को प्राप्त करने के लिए साधन का होना। खुद के लिए जीना गलत नही और खुद को प्राथमिकता देना भी गलत नही किन्तु ख़ुद के आगे किसी को ना देख पाना ना समझ पाना ठीक नही है. हर जगह संतुलन की जरूरत होती है कहीं तार्किक तो कहीं संवेदनशील होना जरूरी होता है और ये सब समय और स्थिति के हिसाब से तय करना होता है …

 

रेत और आदमी 

रेत सूखी है फिर भी प्यास लेकर जाता हूँ

जानता हूं आदमी है फिर भी आस लेकर जाता हूँ

जिसे शक होता है मेरी सादगी पर अक्सर

मैं कुछ नहीं करता , बस देख उसे मुस्कराता हूं

कभी शब्द चुभते… खामोशी चुभती हैं कभी

इसलिए मैं ज़ख्म से नमक की यारी करवाता हूं

वो मिल जाये तो ज़लज़ला आ जाये इस जहां मे

जो सबसे करीब है , मैं उससे दूरी बनाता हूं

सियासते होने लगी है घरों में भी आजकल

जो गिराकर मुस्कराते हैं , मैं उन्हें अपना बताता हूं

इक अरसा हुआ है दूरी बनाये लोगों से मुझे

लोगों को मैं तन्हा ही सही , लेकिन खुद मे काफिला बसाता हूं

हमेशा ख़ुद पर और अपने फैसलों पर विश्वास करे साथ ही फैसलों की बुनियाद इस पर हो कि वो पक्षपाती ना हो किसी भी हिसाब से… बनावटी कम हो हकीकत ज्यादा हो फिर कोई क्या कहें इससे फर्क नहीं पड़ता बस सादगी को साथ रखे हमेशा… अपने लहजे में लफ्जों में हर अंदाज में नरमियत होनी चाहिए और अपने लफ्जों को खुद पर लेने  की ताकत भी …

इस सफ़र में कितने लोग मिले होंगे… ठहरे होंगे… गुजरे होंगे पर कुछ ऐसे होंगे जो जगह बनायेंगे आपकी यादों में… आपके जहन में… जीवन में, तो जो शख्स जीतना नजदीक हो उसने समय समय पर फासला करना जज्बातों को जिंदा रखता है पर दूरी इतनी भी ना कि तन्हाई आदत हो जाएं …

मुकाबले का दौर है आपके बढ़ते कदम कब किसी की ठहरी जिन्दगी का मसला बन जाएं कहा नही जा सकता तो जब अर्श की ख्वाहिश हो तो परों को मजबूत करना खुद की जिम्मेदारी है और जिन्दगी यही है जिसमे भीड़ में खुद को तन्हा रखने का हौसला हो, साथ ही तन्हाई में ख्यालों को सही दिशा व हकीकत करने की ईच्छाशक्ति … अपने ख्यालों को स्तर ऊंचा रखे क्योंकि जो सोच सकते है वो कर सकते है और सोचा तो वो भी जा सकता है जो आजतक किसी ने सोचा नही

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