||कल्पनाएं||
कई बार ऐसा होता है कि हम सोचते सोचते ऐसी दुनिया का निर्माण कर देते हैं जिसमें वह सारी चीज होती है, जो हम करना चाहते हैं या हम वह योजनाएं बनाते हैं कि हमें अपने जीवन में क्या-क्या चाहिए और कई बार यह विचार …. को यह ख्याल वास्तविकता से दूर हम सभी उसे काल्पनिक जीवन में जीते हैं हालांकि यह हमें जानकारी है कि हम जो विचार कर रहे हैं वह सारे काल्पनिक है लेकिन फिर भी हमें यह ख्याल अच्छे लगते हैं क्योंकि यह हमें उस सहजता का अनुभव कराते हैं जो की वास्तविकता नहीं है फिर भी वास्तविक हो जाने का अनुभव कराती हैं। कुछ क्षण के लिए यह सपने की भांति है जो की नींद के खत्म होते ही हमें वास्तविकता का दर्पण दिखा देता है । कई बार ऐसा होता है कि हम नींद में हो और हमें सपना आए लेकिन हम नींद से जागते हैं तो हमें पता चलता है कि हम जो सोच रहे थे या जो विचार कर रहे थे वह वास्तविक नहीं है और कुछ सपने या कल्पनाएं ऐसी होती हैं जो कि हम जागते हुए देखते हैं और वह हमारी इच्छाओं का ही एक रूप है जैसे कि जैसा हम करना चाहते हैं किंतु ऐसा सदैव हो या आवश्यक नहीं है ….आवश्यक यह है कि हम वास्तविकता को अपनाकर जो प्रत्यक्ष और वर्तमान को पूर्ण करें उन पर विचार करना चाहिए साथ ही उसके अनुरूप कार्य करना चाहिए क्योंकि जैसा हम सोचेंगे वैसे बन जाएंगे।
||अखरता बहुत है||
कुछ इस तरह महफ़ूज़ किया है औरो की नज़र से खुदको
कि अपना साया भी देखे तो…. अखरता बहुत है
सादगी पसंद करते करते, सादगी को क्या चाहने लगे हम….
कि अब रंगों का बदलना ….. अखरता बहुत है
सिर्फ एक की आँखों का नूर और दिल की जान बन जाओ
यूँ हर किसी पर मर जाना…. अखरता बहुत है
शब – ए – खूबसूरती को शमायें बनकर रोशन करना सीख लिया है
कि बुझे बुझे चिराग़ देखना…. अखरता बहुत है
खुदगर्जी (स्वार्थ) के लिए कितना गिराया है खुदको, नस्ले जवाब देगी इसका
तेरे आज के किए से, तेरे कल को देखना… अखरता बहुत है
गैरों की हरकत पर शिकायत भी लाज़िम है हमारी
ये अपनों की आंखों में हसद (जलन) का होना… अखरता बहुत है
सबको छोड़, जो सबका है उसी से वफ़ा कर ली हमने
अब ये सौदे सी वफ़ा करना… अखरता बहुत है
हर व्यक्ति अपने अधिकार में अच्छाई और बेहतरी चाहता है और यह हमें आगे बढ़ने में प्रेरणा का कार्य भी करती है किंतु अपने अधिकार में अच्छे करने के लिए हमें किसी के साथ अगर बुरा करना पड़े तो यह किसी भी प्रकार से उचित नहीं है । वर्तमान समय की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हमें उचित प्रयास करने चाहिए और अपने अनुसार शत प्रतिशत परिणाम लाने का भी प्रयास करना चाहिए, किंतु किसी को पीछे कर , किसी के साथ अन्याय कर, किसी का अधिकार लेकर अगर हम कुछ प्राप्त भी कर लेते हैं तो वास्तविकता में एक वक्त पर शून्य हो जाता है और शून्य का भी एक मोल है लेकिन हमारे पास जो बचता है उसका कोई मोल नहीं रहता क्योंकि हमारा अतीत हमारी कल के दर्पण में जो चेहरा दिखता है कई बार वह सूरत हमें खुद को भी अच्छी नहीं लगती क्योंकि हम दुनिया से चाहे जितना भी वास्तविकता को छुपा ले पर हम अपने अंतर्मनसे कभी भी वास्तविकता को नहीं छुपा सकते हैं और इस बेचैनी से बचने का एकमात्र उपाय है कि हमें अपने इस जीवन को ईमानदारी से जीना है । हमें अपने लिए अपनी निःसंदेह सोचना है… कार्य करना है किंतु किसी के साथ अन्याय करके नहीं क्योंकि जितना साफ सुथरा इस देह को रखना आवश्यक है ,उससे कहीं अधिक साफ सुथरा हमें अपने विचार और अपने अंतर्मन को रखना आवश्यक है यही हमें एक शांत और सुकून भरा जीवन प्रदान करते हैं। जीवन में जितना सुलझा रहेंगे जीवन उतना ही आसान रहेगा और कर्म के बीज का यही सिद्धांत है जैसा बोओगे वैसा ही फल मिलेगा….
Great thoughts
Bahut badiya……….
Dil ki gahraeyo se man k ehsas ko sabdo me bandhana koee sp se sikhe…
💯👏
आपके द्वारा लिखी गई पंक्तियां अद्भुत है, ये जीवन को समझने की एक अलग ही राह दिखाती है